स्वतंत्रता दिवस पर निबंध | 15 अगस्त पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें – 15 August Essay in Hindi 10 lines

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध | 15 अगस्त पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें – 15 august essay in hindi 10 lines

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध | 15 अगस्त पर निबंध हिंदी में | 2023

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध– भारत इस साल 2023 में अपना 77 वा स्वतंत्रता दिवस मना रहा है .हमारा भारत देश  200 वर्षो तक अंग्रेजो का गुलाम  रहा है , हमारे  देश को आजादी अंग्रेजो से 15 अगस्त 1947 को मध्य रात्रि सुकवार को मिली , तब  से लेकर आज तक हम देशवासी पुरे हर्ष उल्लाश  के साथ 15 अगस्त को एक राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मानते  चले आ रहे है।   अंग्रेजो  से आजादी मिलने के बाद भारत प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस (Independence day) मनाता चला आ रहा है।

यह दिन सभी देशवासियो के लिए बहुत ही सौहार्द्य का दिन है15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजो से आजाद हुआ  जिसके बाद से यह दिन भारत के इतिहास में एक स्वर्णिम अक्षर में अंकित हो गया .  और भारतवासी  एक चैन की सास लिए .

लेकिन भारतीयों के लिए यह आजादी इतनी आसान नहीं थी जितना की यह आजादी शब्द इस आजादी को पाने के लिए  ना जाने कितने  महापुरुषों ने अपना बलिदान दिया है अपनी  इस मातृभूमि को अपने प्राण  न्योछावर किया है । कितनो  के घर जल गए, कितने अनाथ हो गए । जब भारत आजाद हुआ अंग्रेजो की गुलामी से तब से यह दिन सभी भारतीयों के लिए यह खास दिन  हो गया  , और  सभी देशवासी पुरे उल्लाश के साथ स्वंतंत्रता दिवस मानते है ।

स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाया जाता है

हमारा ये आजाद भारत स्वतंत्रता दिवस को एक राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में मनाता है , भारत देश के कोने कोने में यह राष्ट्रीय त्यौहार बड़ी हर्सौलास के साथ मनाया जाता है । लेकिन भारतीय झंडा भारत के प्रधान मंत्री दिल्ली के  लाल किले पर झंडा फहराते है । दिल्ली हमारे भारत देश की राजधानी है इस राष्ट्रीय उत्सव का आयोजन दिल्ली में विशेष  रूप से किया जाता है झंडा फहराने के बाद राष्ट्रीय गान गाया जाता है।  21 तोपों को सलामी दी जाती है शहीदों को याद किया जाता है .

प्रधानमंत्री देशवासियो को सन्देश देते है , जल थल , वायु  सेना  के टुकडिया ध्वज  को सलाम करती है कुछ कार्यक्रमों का आयोजन होता है इसके बाद कार्यकर्म समाप्त होता है ।

स्वतंत्रता दिवस को प्रत्येक स्कूल में मानते है मास्टर जी झंडा फहराते है राष्ट्रगान गाया जाता है कुछ सांस्कृतिक कार्यकर्मो का आयोजन किया जाता है , इसके बाद मिठाईया बाटी जाती है ।

स्वतंत्रता दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन

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आजादी के इस मौके पर लाल किले पर साथ ही साथ सभी शिक्षण  संस्थानों में सांस्कृतिक कार्यकर्मो का आयोजन किया जाता है। लोक गीतों को गाया जाता है वीरबलिदानो को याद किया जाता है। 15 अगस्त को पूरे भारत में अवकाश  की घोषणा की जाती है। इस दिन सभी ट्रेनें बिल्कुल फ्री होते हैं सभी संस्थानों को अपने-अपने तरीकों से सजाया जाता है, तरह-तरह के गुब्बारे जो तिरंगे कलर के होते हैं उसको आसमान में उड़ाया जाता है और अपनी स्वतंत्रता की झलक को हर्षोल्लास के साथ दिखाया जाता है।

प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और अन्य सभी उच्च पदों पर आसीन नेता, राजनेता सभी लाल किले  पर मौजूद होते हैं यह सभी लोग स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सभी वीर बलिदानों वह देश भक्तों को याद करते हैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। विभिन्न देशों की झांकियां स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर निकाली जाती हैं परेड कराए जाते हैं, शिक्षण संस्थानों में बच्चों के द्वारा उन वीर बलिदानों को नारों के माध्यम से याद किया जाता है, जैसे भारत माता की जय के नारे लगाए जाते हैं भारत में निवास करने वाले सभी देशवासी अपने अपने तरीके से इस राष्ट्रीय पर्व को मनाते हैं।

इसी दिन देश की लोक संस्कृति सभ्यता और परंपरा को बखूबी देखा जा सकता है सभी देशों के लोग अपने-अपने लोक संस्कृति और सभ्यता से लोगों को परिचित करवाते हैं और अपने अपने तरीके से भारत माता की आजादी को मनाते हैं इस दिन सभी स्कूल कॉलेजों विश्वविद्यालयों में झंडारोहण का कार्यक्रम किया जाता है आजादी के इस अवसर पर लोग भाषण प्रतियोगिता का आयोजन भी करते हैं .इसके साथ ही साथ सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम जैसे नाटक निबंध प्रतियोगिता लेखन भाषण प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जाता है इसके अलावा कुछ विद्यालयों में टेलीविजन पर देशभक्ति पर बनी फिल्मों को प्रसारित किए जाते हैं जिसे लोग घर पर बैठकर लोग आजादी का जश्न मनाते हैं।

भारत के स्वतंत्रता दिवस का इतिहास

15 अगस्त 1947 का दिन भारत के इतिहास में भारत वासियों के लिए बहुत ही भाग्यशाली दिन है। क्योंकि भारत 200 वर्षों तक ब्रिटिश शासन का गुलाम रह चुका था ,भारतवासी ब्रिटिश शासन के द्वारा बहुत ही ज्यादा ज्यादा प्रताड़ित किए जा रहे थे। वे सब भारतवासियों पर बहुत ही अमानवीय आचरण करते थे ,उन पर अत्याचार करते थे इन सब से भारत की जनता काफी त्रस्त हो गई थी ,भारत शासक ब्रिटिश हाथ के कठपुतली बनकर रह गया था। भारत वासियों का जीवन निंदनीय हो गया था, क्योंकि उनके साथ एक गुलामों के जैसा व्यवहार किया जा रहा था किसानों को का भूमि उनसे छीन लिया गया था इसी समय भारत के आजादी के लिए के लिए सेनानियों का संघर्ष शुरू हुआ ,जिसमें सर्वप्रथम नाम मंगल पांडे का आता है भारत में पहली क्रांति का आरंभ 1857 की क्रांति को माना जाता है जो भारत के इतिहास में अविस्मरणीय छाप डालता है इस घटना से उत्तेजित होकर भारत वासियों के मन में अपने देश के प्रति आजादी को लेकर एक समर्पण उत्कृष्ट हुई और उनके मन में एक अमिट छाप पड़ गई कि हमें अपनी स्वतंत्रता चाहिए यह हमारा देश है स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है  इसी हम लेकर रहेंगे-बाल गंगाधर तिलक  क्यों किसी के हाथों की गुलाम बने रहे, जब सबकुछ हमारा है तो हम किसी और के हाथों में अपनी जागीर को क्यों सौपे  इन्हीं सब चीजों से प्रेरित होकर भारत वासियों ने ब्रिटिश वासियों के खिलाफ आजादी की जंग छोड़ दी।

इस संघर्ष में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, दादा भाई नौरोजी, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती आदि महान नेताओं और महान आत्माओं ने अपने देश की स्वतंत्रता दिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई साथ ही साथ भगत सिंह, इंशा अल्लाह खान,  चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस ,रानी लक्ष्मीबाई आदि के सेनानियों ने इस देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

भारत की आजादी में कुछ महत्वपूर्ण आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जैसे जलियांवाला वाला बाग हत्याकांड, चौरी चौरा कांड, भारत छोड़ो आंदोलन ,दांडी यात्रा ,अगस्त प्रस्ताव ,पूना पैक्ट इत्यादि आंदोलनों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई भारत की आजादी में।

स्वतंत्रता दिवस के महत्व

15 अगस्त भारत की आजादी का एक ऐतिहासिक दिन है, जो भारत वासियों के लिए एक गौरव का प्रतीक है ,भारत विभिन्न भाषाओं सभ्यताओं और संस्कृतियों का देश है, जिसको अर्थात भारत को विभिन्नता में एकता का प्रतीक माना जाता है। इतनी विभिन्नता होने के बावजूद भी यहां पर सभी देशवासी एक साथ मिलकर इस राष्ट्रीय पर्व को मनाते हैं .जो भारत की एकता और अखंडता को दर्शाती है .स्वतंत्रता दिवस भारत के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना को जागृत करती है। हमारे देश का राष्ट्रीय चिन्ह हमारा यह तिरंगा है .जिसमें तीन रंग होता है केसरिया रंग ,सफेद रंग ,हरा रंग, इन तीनों में सबसे ऊपर केसरिया रंग होता है बीच में सफेद रंग होता है नीचे हर्ष और उल्लास का प्रतीक हरा रंग माना जाता है सफेद रंग में एक चक्र होता है जिसमें 24 तीलियां होती है जोकि अशोक के राष्ट्रीय चिन्ह से लिया गया है इस तिरंगे का सम्मान हर जगह पर किया जाता है। तिरंगे का अपमान करना एक दंडनीय अपराध माना जाता है स्वतंत्रता की लड़ाई में भी तिरंगा की एक मुख्य भूमिका रही है, 15 अगस्त 1947 के बाद  से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद यह हमारा राष्ट्रीय ध्वज बना ,जिसको हम राष्ट्रीय समारोह एवं महत्वपूर्ण अवसरों पर इस झंडे को फहराया  जाता है यह झंडा प्रतीक राष्ट्र का सान होता है।

स्वतंत्रता दिवस के 75 साल

स्वतंत्रता दिवस के 75 साल अर्थात हमारी आजादी के 75 साल पूरे हो गए, इस उपलक्ष में हमारी भारत सरकार ने इस दिवस को आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मनाया गया। जिसमें भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने तक भारत ने जिन जिन क्षेत्रों में अपनी तीव्र प्रगति की है उन सब के बारे में उन्होंने बताया है और इस 75 वीं वर्षगांठ को उन्होंने दिव्य प्रगति और हर्ष उल्लास का एक त्यौहार माना और इसी के रूप में इसको मनाया .यह वर्षगांठ काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया था इस अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को विशेष रूप से याद करने के लिए भारत सरकार की एक पहल थी।

आजादी के इस अमृत महोत्सव में भारत सरकार अपनी भारत वासियों के साथ अपनी लोक संस्कृति सभ्यता के इतिहास को बड़े जतन से मना रहा है आजादी का अमृत महोत्सव की यात्रा 12 मार्च 2021 को साबरमती आश्रम से शुरू हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के 75 हफ्ते लंबे समय आजादी का या अमृत महोत्सव 15 अगस्त 2026 तक चलने की बात की है।

आजादी का यह अमृत महोत्सव भारत के उन सभी लोगों को समर्पित है जिन्होंने भारत के विकास और समृद्धि के मार्ग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में भारत सरकार द्वारा देश भर में आजादी का अमृत महोत्सव नाम से विभिन्न स्वतंत्रता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं .रूप से विभिन्न तरीके की प्रतियोगिताएं जैसे भाषण प्रतियोगिता नाटक प्रतियोगिता, फोटो प्रदर्शनी इत्यादि को शामिल किया गया है कहीं-कहीं पर तो आजादी महोत्सव को दो भागों में प्रदर्शित किया गया है, जैसे महात्मा गांधी के आगमन से पहले का स्वतंत्र आंदोलन और गांधी जी के नेतृत्व में स्वतंत्र संग्राम जिसमें पहले भाग में अर्थात गांधीजी के आगमन से पूर्व में ,लाल बाल पाल के नाम से प्रसिद्ध जिनको हम सभी लोग बचपन से पढ़ते आ रहे हैं लाल अर्थात लाला लाजपत राय,  बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल के योगदान उसको तस्वीरों के माध्यम से दर्शाया गया है इसके साथ-साथ क्रांतिकारी आंदोलन में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई मंगल पांडे, राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती, विवेकानंद वीर सावरकर, खुदीराम बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद,सुभाष चंद्र बोस इत्यादि को शामिल किया गया है।

स्वतंत्र भारत और आजादी का त्यौहार

हमें भारत की आजादी इतनी आसानी से नहीं मिली है, हमने इस आजादी को पाने के लिए हमारे महान नेताओं क्रांतिकारियों और देशवासी ने ना जाने कितने सितम खाएं, कितने छोटे खाएं ,कितनों ने अपने प्राणों की बलि दे दी, कितनों ने अपने घरों को खा कर दिए , कितनों ने अपनों को खोया, कितनों ने फांसी खाई ,तब जाकर के हमें या आजादी नसीब आई .

हमें अपने देश की आजादी और मान का हमेशा ध्यान रखना चाहिए .और अपने देश की प्रगति और उन्नति में हमेशा देश की भलाई करना चाहिए। और अपना महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए। आकाश में चैन से सांस लेते हैं और उस जमीन पर पैर रखते हैं जिस पर कभी हम गुलाम हुआ करते थे, आज वह जमीन अपनी है अपना है यह आसमा और अपनी है यह आजादी।

हम खुलकर अपने देश में अपनी आवाज को बुलंद कर सकते हैं अपनी देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकते हैं। अपने प्रति हो रहे अत्याचारों के प्रति आवाज उठा सकते हैं। अपनी इस लोकतांत्रिक शक्ति के कारण हम अपने देश में अपनी सरकार को चुन सकते हैं .यह सब अगर हमें नसीब हुआ है तो इन सब के पीछे हमारे महान क्रांतिकारी देशभक्त की महत्वपूर्ण भूमिका है।

अंग्रेजों के भारत छोड़ने जाने के बाद से हमारा यह भारत आजाद हुआ और हम पूरी तरह के से स्वतंत्र हो पाए। इसलिए हम अपनी स्वतंत्र दिवस को एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं। जिसे भारत के सभी लोग इस त्योहार को मनाते हैं चाहे वह किसी भी जाति धर्म, संप्रदाय का हो सबके लिए एक जैसे नियम और कानून बनाए गए हैं इस भारत देश में भारत के आजाद हो जाने के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने उन्होंने दिल्ली के लाल किले पर जाकर के अपना स्वतंत्रता का झंडा फहराया .और राष्ट्रगान गाया, और देश के प्रधानमंत्री द्वारा देश को संबोधित भी किया ।  इसीलिए हर साल 15 अगस्त को दिल्ली के लाल किले पर प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं।

अंग्रेजों का भारत आना

भारत में अंग्रेजों का आगमन 16 वीं शताब्दी में शुरू हो गया था, इन्होंने सर्वप्रथम अर्थात अंग्रेजों ने 1600 में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की .और तभी से उन्होंने धीरे-धीरे इस पूरे भारत देश में अपनी व्यापार की नीति से आए हुए इस पूरे भारत पर अपना आधिपत्य जमा लिया .1800 तक इन्होंने पूरे भारत पर अपना व्यापारिक प्रभुत्व स्थापित कर लिया था इन्होंने धीरे-धीरे देश के प्रत्येक बड़े-बड़े राजाओं महाराजाओं को अपने विभिन्न प्रकार की नीतियों से उन सब को हड़प लिया उन सब के व्यापारिक राज्य को हड़प लिया और यह भारत देश को पूरी तरीके से अपना गुलाम बना लिया अंग्रेज आए तो थे इस भारत में व्यापार करने की नीति से लेकिन उन्होंने यहां की जनता के भोले भाले पड़ोसी देपन का फायदा उठाकर उन्होंने इस पर शासन करना ज्यादा उचित समझा और भारत को गुलाम बना बैठे।

Essay on Independence Day in Hindi – 15 अगस्त पर निबंध

15 अगस्त 1947 को हमारा यह भारत देश पूरी तरीके से आजाद हो गया था 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के द्वारा दिल्ली के लाल किले पर तिरंगे झंडे को पढ़ाया जाता है राष्ट्रगान गाया जाता है परेड किया जाता है विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के के अलावा राष्ट्रपति विभिन्न बड़े-बड़े राजनेता और कैबिनेट के मंत्री लोग उपस्थित होते हैं इन सभी के द्वारा भारत के क्रांतिकारी शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है उनको याद किया जाता है भारतवासियों को प्रधानमंत्री के द्वारा संबोधित किया जाता है।

इस दिन पूरे भारतवर्ष में अवकाश की घोषणा की जाती है सभी शिक्षण संस्थानों व सरकारी संस्थानों में झंडे को भरा जाता है। उसका सम्मान किया जाता है सभी कार्यालयों में छुट्टी रहती है सभी लोग पूरे हर्षोल्लास के साथ इस राष्ट्रीय पर्व को मनाते हैं।

दूरदर्शन पर पूरे दिन भर इस राष्ट्रीय पर्व के का आयोजन किया जाता है पहली बार दिल्ली के लाल किले पर भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के द्वारा झंडा फहराया गया था भारतवासी इस देश के किसी भी कोने में रहते हैं उन सब के दिल में अपने भारत के प्रति अपार श्रद्धा और प्रेम और राष्ट्रीयता की भावना सदा बनी रहती है।

यह दिवस भारतवासियों के दिल में राष्ट्रीय भावना को जागृत करती है इस त्यौहार के माध्यम से सभी देशवासियों के मन में एक अलग सा राष्ट्रीय भावना जागृत होती है इस देश के प्रति कुछ कर गुजरने की तमन्ना जाग उठती है।

क्योंकि इस दिन पूरे दिन कहीं न कहीं देशभक्ति गीतों का आयोजन किया जाता है यह गीत प्रत्येक भारतवासियों के मन में एक अपार राष्ट्रीय भावना को जागृत करता है उन वीर बलिदानों को याद करने को प्रेरित करता है जिन्होंने अपने इस देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी।

कुछ महत्वपूर्ण नारे:

भारत माता की जय 

महात्मा गांधी की जय

पंडित जवाहरलाल नेहरु की जय

चंद्रशेखर आजाद की जय

भगत सिंह की जय

सरदार वल्लभ भाई पटेल की जय

सुभाष चंद्र बोस की जय

लाला लाजपत राय की जय

बाल गंगाधर तिलक की जय

निष्कर्ष

आज के दिन सभी देशवासियों को अपने देश को एकता के सूत्र में बांधे रहने का संकल्प लेना चाहिए साथ ही साथ महात्मा गांधी के द्वारा दिए गए संदेशों को पालन करना चाहिए जैसे सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए सदा सत्य बोलना चाहिए एकता में अनेकता को बनाए रखना चाहिए अपने लक्ष्य को पाने के लिए दृढ़ संकल्प होना चाहिए इत्यादि इन सबों को पूरा करने का संकल्प लेना चाहिए।

 

कुछ महत्वपूर्ण राष्ट्रीय गीत

 

1:दे दी हमें आजादी बिना खडक बिना ढाल।

साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।।

धरती पर लड़ी थी कि तूने अजब ढंग की लड़ाई।

ना तोप  ना बंदूक चलाई चलाई।।

रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम।।

गांधी जी की पंक्तियां

2:रघुपति राघव राजा राम।

पतित पावन सीता राम।।

ईश्वर अल्लाह तेरो नाम।

सबको सन्मति दे भगवान।।

कुछ महत्वपूर्ण कथन

“तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” – सुभाष चंद्र बोस

“आराम हराम है” – जवाहरलाल नेहरू

“जय विज्ञान” – अटल बिहारी बाजपेई

“दिल्ली चलो’ – सुभाष चंद्र बोस

“वेदों की ओर लौटो” – स्वामी विवेकानंद

“जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।” – महात्मा गाँधी

“इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।” – वल्लभभाई पटेल

“निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम् लक्षण हैं।” – भगत सिंह

“धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। सन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है।  असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाये देश को अपना परिवार बना मिलजुल कर काम करना है। इसके बाद का कदम मानवता की सेवा करना है और अगला कदम ईश्वर की सेवा करना है।” – बाल गंगाधर तिलक

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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